हार जीत शिक्षक कविता के कवि कौन है? - haar jeet shikshak kavita ke kavi kaun hai?

                
                                                                                 
                            हार के आगे जीत है साथी हार से मत घबड़ाना,
हार से हार के हार गया तो हँसेगा ये जमाना

जीत हुई इंसानों की और हार भी इंसान की,
हम भी तो इंसान हैं साथी फिर आदत क्यों हार की
हार को अपनी ढाल बनाकर जीत की जंग जीत लाना,
जीत के जब तुम दिखलाओगे, देखेगा जमाना
हार के आगे जीत है साथी..............

लक्ष्य तुम्हें जो पाना है उस लक्ष्य पर नज़र गड़ाओ,
पीछे मुड़कर कभी ना देखो, आगे बढ़ते जाओ
कर्म ही पूजा समझ के साथी कर्म को करते जाना,
फल तो ऊपर वाले देंगे, जो भी होगा देना
हार के आगे जीत है साथी..............

नफ़रत में तुम प्यार घोलकर हर मुकाम पा सकते हो,
सच्चाई की राह चुनकर हरिश्चन्द्र बन सकते हो
जब भी रावण सामने आए श्री राम बन जाना,
कंश अगर आ जाए सामने कृष्ण बनकर दिखलाना
हार के आगे जीत है साथी..............

नीचे तो धरती है पर ऊपर का कोई अंत नहीं,
सबसे पीछे हार है आगे जीत का कोई अंत नहीं
नई-नई ऊंचाई छूकर नया इतिहास बनाना,
अमावस्या के रात में भी चाँद सी चमक दिखाना
हार के आगे जीत है साथी..............

प्रयास करो करते रहो अभियान सफल हो जाएगी,
रौशनी आगे डाल के देखो परछाईं खुद पीछे हो जायेगी
मंजिल ज्यादा दूर नहीं है कदम बढ़ाते जाना,
स्वागत के लिए जीत खड़ी है जीत को गले लगाना
हार के आगे जीत है साथी..............

- रणजीत ‘शेखपुरी’
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हार जीत शीर्षक कविता कवि कौन है?

प्रस्तुत पंक्तियाँ हार-जीत शीर्षक गदय कविता से ली गई है जिसके रचनाकार अशोक वाजपेयी है।

हार जीत कविता का केंद्रीय भाव क्या है?

इसमें कवि कहते हैं कि, नागरिकों पता नहीं है कि, किस युद्ध में उनकी सेना और शासक (राजा) गए थे और युद्ध किस बात पर था। वो यह भी नहीं कि शत्रु कौन था। उन्हे बस इतना बताया गया है, इतना पाता है की, उनकी सेना और रथ विजय प्राप्त कर लौट रहे हैं। जिसका वे उत्सव यानि विजयपर्व मना रहे हैं और उसकी तैयारी मे व्यस्त है।

हार जीत शीर्षक कविता में मसकावाला क्या कर रहा है?

Solution : बूढ़ा मशकवाला देश कि राजनीती से वंचित है। अगर उसे जिम्मेवारी मिली होती तो हार को हार कहता जित नहीं कहता। वह सत्य प्रकट करता। उसे तो मात्र सड़क सींचने का काम सौंपा गया है